भागलपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2047 तक विकसित भारत बनाने का लक्ष्य तय किया है। इसी के चलते हर राज्य की भागीदारी भी सुनिश्चित की जा रही है। मिशन पूर्वोदय के तहत बिहार की भूमिका भी विकसित भारत बनाने के लक्ष्य में अहम मानी जा रही है।
बिहार कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. डीआर सिंह ने आईएएनएस को बताया कि दूसरी हरित क्रांति की शुरुआत बिहार से होनी चाहिए, क्योंकि यहां अलग-अलग तरह की जमीन है और ये दूसरी हरित क्रांति के लिए काफी उपयुक्त हैं। पीएम मोदी ने एक लक्ष्य रखा है कि 2047 तक हमारा देश विकसित होना चाहिए। मैं मानता हूं कि अगर बिहार को 2047 तक एक ट्रिलियन डॉलर वाला राज्य बनाना है तो उसमें एक बड़ी भूमिका कृषि की हो सकती है, क्योंकि यहां की 77 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है। मुझे लगता है कि दूसरी हरित क्रांति की शुरुआत बिहार से हो सकती है।
उन्होंने आगे कहा, "बिहार के राज्यपाल ने भी माना है कि राज्य के किसान काफी मेहनती हैं और उनके अंदर काम करने की क्षमता है। बिहार के गंगा किनारे का हिस्सा खेती के लिए काफी उपयोगी है। बिहार में मिलेट्स का उत्पादन शुरू हो गया है और 40 प्रतिशत लीची का भी उत्पादन होता है। इसके अलावा, 80 प्रतिशत मखाना का उत्पादन भी बिहार में ही होता है।"
डीआर सिंह ने बताया कि बिहार में हेल्दी सॉइल, जल और जलाशय की पर्याप्तता है। बिहार के 16 जिलों में ऑर्गेनिक फार्मिंग भी शुरू हो गई है। किसानों और युवाओं के बीच स्किल डिवेलपमेंट का कार्य जारी है। अभी तक 2 लाख 65 हजार किसानों को ट्रेनिंग भी दी गई है। बिहार में कृषि रोड मैप भी कार्यरत है और उसका असर भी दिख रहा है।
उन्होंने कहा कि बिहार के चार क्लाइमेटिक जोन में 77 प्रतिशत आबादी आज भी खेती से जुड़ी हुई है। बिहार कृषि विश्वविद्यालय में कार्यरत 19 राज्यों के कृषि वैज्ञानिकों को द्वितीय हरित क्रांति के लिए विजन देने को कहा गया है। साल 2026 में विजन डॉक्यूमेंट तैयार हो जाएगा, जिसमें क्रॉप, वेरायटी, तकनीक, फिशरीज, डेयरी फार्मिंग और ऑर्गेनिक फार्मिंग पर ज्यादा फोकस रहेगा।
बिहार कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति के मुताबिक, बिहार के कई कृषि उत्पाद को जीआई टैग मिल चुका है। अब हम मछली उत्पादन में भी अग्रणी हुए हैं और उसका निर्यात भी कर रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने बिहार में मखाना बोर्ड दिया है। राज्य में 1 लाख हेक्टेयर में मखाना उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।